सामान शिक्षा पद्धत्ति का हनन होता हुआ बिहार राज्य मे
सेवा में ,
शिक्षा मंत्री , भारत सरकार ,
मिनिस्ट्री ऑफ़ HRD
नयी दिल्ली ,भारत
मैं कुमार सत्यम मूल रूप से बिहार राज्य का निवासी हूँ , और मैंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकंड्री एजुकेशन (CBSE) से दसवी और 10+2 की परीक्षा पास की है । और मैं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) के दसवी के course में देखा की अंग्रेजी विषय अनिवार्य नहीं है । जिसके वजह से बच्चो का अंग्रेजी के प्रति रुझान कतई नहीं रह जाता है क्योकि उन्हें अंग्रेजी के बोर्ड परीक्षा में सिर्फ उपस्थित होना होता है वो पास करे अथवा फ़ैल इस से कोई फर्क नहीं परता है । अंग्रेजी का अंक कुल अंक में नहीं योग किया जाता है इस वजह से कमजोर बच्चे सुरु से अंग्रेजी को नजरअंदाज कर देते हैं जो की गलत है ।
और दुख की बात यह है की वही बच्चे जब 2 साल बाद intermediate में जाते हैं तो अंग्रेजी का स्तर CBSE के स्तर को टक्कर देता है जो की उस बच्चे के वश का तब तक नहीं रह जाता है । विज्ञानं विषय के विद्यार्थी भौतिकी , राशायण और गणित या जीवविज्ञानं में ध्यान लगाते रह जाते हैं । नतीजा होता है वो अंग्रेजी में फ़ैल हो जाते हैं । और उनका साल बर्बाद होता है ।पिछले वर्ष 2014 में बहूत बुरा परिणाम रहा है । अंग्रेजी के वजह से ।
तो आपसे महोदया निवेदन है की मुख्यमंत्री जी और अपने विभाग के समबन्धित अधिकारी को कृपया या तो अंग्रेजी को 10 , 12 दोनों में mandatory करने या सिर्फ हिंदी विषय अनिवार्य रखने का आदेश दें ताकि बच्चे खुद को छला हुआ न महसूस न करें आज से 10 साल बाद जब वो कहीं बेरोजगार या समाज में उपेक्षित न महसूस कर रहा हो । कृपया उचित करवाई करें ।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था गर्त में हैं कृपया त्वरित करवाई करें । अन्यथा बिहार के होनहार भविष्य डिग्री से तो पढ़े होंगे परंतू अंग्रेजी में कमजोर होने के वजह से ज़िन्दगी के आपा धापी में पीछे रह जायेंगे ।
साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने passing मार्क्स 30 अंक रखें हैं जो की सीबीएसई ( 33 ) अंक से कम हैं और जब वही विद्यार्थी जब दुसरे राज्य में 33 से कम अंक लेकर जाता है तो उसके प्राप्तांक को फ़ैल के श्रेणी में रखा जाता है इसलिए इस तरीके से भविष्य में बच्चों को परेशान नहीं किया जा सके इसलिए passing मार्क्स 33 किया जाये |
बच्चो के बेहतर भविष्य और शिक्षा के उत्थान का कामना करते हुए