profile image
by Sai_Ki_Bitiya
on 25/1/11
I like this button49 people like this

अपनी आझादी को हम हरगीज मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकीन सर झूका सकते नहीं

हमने सदियों में ये आझादी की नेमत पाई हैं
सैकडों कुरबानियाँ दे कर ये दौलत पाई हैं
मुस्कुराकर खाई हैं सीनों पे अपने गोलियाँ
कितने विरानों जो गुजरे हैं पर जन्नत पाई हैं
खाक में हम अपनी इज्जत को मिला सकते नहीं

क्या चलेगी जुल्म की एहल-ए-वफा के सामने
आ नही सकता कोई शोला हवा के सामने
लाख फौजे ले के आए अम्न का दुश्मन कोई
रुक नही सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकता नहीं

वक्त की आवाज के हम साथ चलते जायेंगे
हर कदम पर जिंदगी का रूख बदलते जायेंगे
अगर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दार-ए-वतन
अपनी ताकत से हम उस का सर कुचलते जायेंगे
एक धोका खा चुके हैं और खा सकते नहीं

हम वतन के नौजवान हैं, हम से जो टकरायेगा
वो हमारी ठोकरों से खाक में मिल जायेगा
वक्त के तुफान में बह जायेंगे जुल्म-ओ-सितम
आंसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहरायेगा
जो शपथ बापू ने सिखलाया वो भूला सकते नहीं