एक समय की बात है एक बारहसिंगा बीमार हो गया | वह हरी भरी घास वाली भूमि पर जाकर सो गया | एक दो दिन में वो इतना कमजोर हो गया कि उसका हिलना डुलना भी बंद हो गया | उसकी बीमारी के उपचार के बारे में खबर सारे जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी | उसके सारे मित्र उस से मिलने को आये और वो सारे घास चरने वाले पशु थे | बारहसिंगा के उपचार के लिए सभी लोग वंहा पर ठहर गये और वंहा के भूमि पर मौजूद हरी हरी घास को चरते रहे |
कुछ ही दिनों में घास का एक तिनका भी वंहा पर नहीं बचा | इधर कुछ ही दिनों के बाद बारहसिंगा भी स्वस्थ होने लगा लेकिन कमजोरी के कारन वो अभी भी चल फिरने में तो असमर्थ ही था | उसे ठीक होता देखकर उसके सभी मित्र जाने लगे | अब वो बारहसिंगा बड़ी मुश्किल में हो गया क्योंकि कमजोर होने के कारण वो अभी भी चरने के लिए कंही दूर जाने में असमर्थ था इसलिए अब वो भूख से बेहाल हो गया और जल्दी ही चल बसा |
यदि उसके मित्र उसके आस पास की घास नहीं चरते तो शायद वो नहीं मरता क्योंकि वो चलने फिरने में तो असमर्थ था तो वन्ही अपने आस पास की घास को खाकर वो निश्चित ही जीवित बच सकता था | परन्तु उसके मूर्ख मित्र तो उसके लिए दुश्मन से भी अधिक बढ़कर सिद्ध हुए |