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by TanvirSalim1
on 7/4/16
KAVITA:
दरिया सागर में जा मिल खारी खारी हो जाती है.
दुनिया में रह रह के हम भी ऐसे वैसे हो जाते हैं.
दरिया भी बे बस है मिलना तो उसको पड़ता है.
विवश तो हम भी, जीना तो हम को भी पड़ता है.....तनवीर सलीम