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by TanvirSalim1
on 3/3/15
Remembering Firaq Gorakhpuri..कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम
उस निगाह-ए-आशना को क्या समझ बैठे थे हम

रफ़्ता रफ़्ता ग़ैर अपनी ही नज़र में हो गये
वाह री ग़फ़्लत तुझे अपना समझ बैठे थे हम.