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by TanvirSalim1
on 29/9/15
आज कोई गोरखपुर के बारे में कह रहा था की अगर किसी शहर ने कोई तरक्की नहीं की है तो वह गोरखपुर ही है- इस बात को ना मानने को दिल करता है, पर ये वास्तविकता है-आख़िर ऐसा क्यों हुआ? विभिन प्रकार के तर्क दिए जा सकते हैं, पर सत्य को नाकारा भी नहीं जा सकता है, भले ही वो सत्य कितना भी कटु क्यों न हो- सत्य तो आइने की तरह है, देखना चाहो तो हर चीज़ साफ़ नज़र जाती है - दूध का दूध, और पानी अलग हो जाता है- हमारे केवल मानने या न मानने से कुछ नहीं होता है- अब सांप गुज़र जाने से सड़क पे लाठी पीटने से क्या लाभ? आओ इस बात का विश्लेषण करें कि ऐसा क्या है जो हमारे भविष को उज्जवल कर सकता है? करना केवल हम को ही है - प्रशन ये हमारे भविष्य का तो है ही, पर उस से भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी पे हमारी आने वाली पीढ़ियों का भविष्व नित्भर करता है- तनवीर सलीम