profile image
by TanvirSalim1
on 19/10/15
किसने सोचा था की आज़ादी के दशकों बाद "भारत और भारतीयता" दावं पे लग जाएगी. मगर, कभी कभी ऐसा जब प्रतीत होने जब लगता है तो भारत वर्ष के नागरिक सब कुछ भूल ये ठान लेते है की फाँसी के फंदे पे झूले शहीदों का बलिदान वयर्थ नहीं जाएगा.
ऐसा ही कुछ हुआ था 1977 में, और होगा आने वाले दिनों में भी. भारत की जो रूप रेखा संविधान लिखने वालों ने रची थी, वो अमर रहेगी. जै हिंद...गुड नाइट.