profile image
by TanvirSalim1
on 27/6/15
गलतियां बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
हिंदू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िए
अपनी कुरसी के लिए जज्बात को मत छेड़िए
हममें कोई हूण, कोई शक, कोई मंगोल है
दफ्न है जो बात, अब उस बात को मत छेड़िए
गलतियां बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
ऐसे नाजुक वक्त में हालात को मत छेड़िए
हैं कहां हिटलर, हलाकू, जार या चंगेज खां
मिट गये सब, कौम की औकात को मत छेड़िए
छेड़िए इक जंग, मिल-जुल कर गरीबी के खिलाफ
दोस्त, मेरे मजहबी नग्मात को मत छेड़िए
गलतियां बाबर की थीं, जुम्मन का घर फिर क्यों जले
-अदम गोंडवी