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by TanvirSalim1
on 16/2/16
ज़िंदगी साहिल से तूफान का नज़ारा ही नहीं.
आओ दरिया में उतर जाने की बात करें.
खुद में सीमटे हुए रहना है तौहीन जनून.
आओ मौजों में बिखर जाने की बात करें....शुक्रिया रज़ी भाई.