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by TanvirSalim1
on 31/10/16
जरा तमीज़ से बटोरना, बुझे दियों को दोस्तों,
इन्होंने अमावस की अन्धेरी रात में हमें रौशनी दी थी...
किसी और को जलाकर खुश होना अलग बात है,
इन्होंने तो खुद को जलाकर हमें खुशी दी थी..