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by TanvirSalim1
on 25/4/14
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मुझे गंगा मैय्या ने काशी बुलाया है , का दंभ भरने वाले सूनामियायी प्रत्‍याशी ने घूम घूम कर शहर में लगीं नेताओं की प्रतिमाओं में फूल चढाये , लेकिन स्‍नान की कौन कहे गंगा जल को छूना तक उचित नहीं समझा। न ही गंगा मुक्ति के बारे में कोई सदेच्‍छा जतायी। झूठ - फरेब के सहारे चलने और बदला लेने की बात करने वाला देश को किस दिशा में ले जाएगा , यह विचारणीय है।..Facebook Post