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by TanvirSalim1
on 4/1/17
रात फिसलती आहिस्ता आहिस्ता!
किसी सुबह का इन्तिज़ार,
लम्हा लम्हा!
अलसायी आँखों में,
सजे कितने ख्वाब,
तनहा! तनहा!
इशारा हैं किस ओर,
सहमा सहमा!
-तनवीर सलीम