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by TanvirSalim1
on 23/3/15
हाशिमपुरा जनसंहार के फैसले पर कवि जसबीर चावला की प्रतिक्रिया काबिले गौर है-
“ न्याय अंधा होता है, कुछ नहीं देखता,
कानून के लंबे हाथ , अपराधी थाने के पास , पकड़ नहीं पाते ,
चुप रहैं , ‘गुजरात माडल’ लागू है “
मेरठ दंगों के बाद बशीर अहमद बद्र ने एक शेर लिखा था-
“तेग़ मुंसिफ़ हो जहां, दारो रसन हो शाहिद
बेगुनाह कौन है इस शहर में कातिल के सिवा”
यानी जहां तलवार जज हो और फांसी का फंदा गवाह हो, उस शहर में कातिल के सिवाय बेगुनाह कौन हो सकता है ? हाशिमपुरा जनसंहार पर अदालत का फैसला आने के बाद बशीर बद्र का शेर फिर प्रासंगिक हो गया है।...COPIED...